Pragmatic Cognitions
Tuesday, 17 October 2017
रोज़ थोडा-सा
थोडा-सा खुद को रोज़ खोया तुझमें,
तुझमें ही रोज़ खुद को तलाश किया,
कुछ इस तरह मैंने तुझसे प्यार किया ...
- साहिल
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