Pragmatic Cognitions
Thursday, 11 May 2017
कलम सरिता
सम्वेदनाओं की बाढ़ में जब गला रुंधता है,
जब भावों की लहरों को कोई छोर नहीं मिलता,
कलम-सरिता का बाँध तब खुलता है,
जब रुधिर-कण्ठ को साधन, कोई और नहीं मिलता !
- साहिल
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